ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्।

ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्।
उस प्राण स्वरुप, दुःखनाशक, सुखस्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देवस्वरूप परमात्मा को हम अपनी अंतरात्मा में धारण करें। वह परमात्मा हमारी बुद्धि को सन्मार्ग में प्रेरित करे।

Monday 16 April, 2012

कैसे बढ़े मन की सामर्थ्य

मन की क्षमता एवं सामर्थ्य बढ़ने के लिए कुछ अभ्यास किए जा सकते हैं; जैसे
  1. नियमित स्वाध्याय  - इसके लिए आप प्रेरणादायक पुस्तकों को पढ़ें, समझें और चिंतन-मनन करें।
  2. सत्संग - अच्छे विचारों के सतत संपर्क में रहना, आपको कहीं से भी मन को ऊपर उठाने वाले विचार मिलें, तो आप उनके संपर्क में रहें।
  3. स्वसंकेत - अच्छे विचारों को बार-बार मन में पूरे विश्वास के साथ दोहराना, जैसे आप स्वयं से बार-बार यह कह सकते हैं की आपकी सामर्थ्य बढ़ रही है और आप सब कुछ करने में सक्षम हैं।
  4. पौष्टिक आहार - यह आपको शारीरिक रूप से स्वस्थ रखने के साथ-साथ मानसिक रूप से भी उत्साहित रखेगा।
  5. पर्याप्त श्रम - शारीरिक एवं मानसिक रूप से किए जाने वाले कार्य शारीर एवं मन की संतुष्टि प्रदान करते हैं एवं अपनी सामर्थ्य बढ़ाते हैं।
  6. उपसना - इसकी शुरुआत आप अपनी दिनचर्या में थोड़े समय की पूजा से कर सकते हैं, जिसमें आपको ईश्वरीय सत्ता के प्रति मन को तल्लीन करना है,  इसके लिए जप, ध्यान, प्राणायाम या अन्य किसी भी तरह की विधि को अपना सकते हैं।
मन की सामर्थ्य बढ़ने में उपासना की सबसे महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। इसकी शुरुआत भले ही छोटे रूप में की जाती है, लेकिन जैसे-जैसे यह विकसित होती है तो इसके दिव्या पलों में ही अन्तःप्रेरणा मिलती चली जाती है, समस्याओं के समाधान मिलते हैं और जीवन की दुर्गामताओं में आगे बढ़ने के लिए राह मिलती है। कठिनाइयों में भी अडिग रहने का साहस एवं सतत ईश्वरीय सत्ता के सानिध्य का अनुभव उपासना की चरम परिणति होती है और इसके द्वारा मन अपनी समझ, सामर्थ्य एवं क्षमता को इतना विकसित कर लेता है की असंभव कार्य को भी संभव कर दिखाने में तनिक भी डगमगाता नहीं है, भयभीत नहीं होता और हर क्षण विकसित होता जाता है। अतः मन की क्षमता बढाने के लिए उपासना, साधना, स्वाध्याय का सतत अभ्यास करना चाहिए। इससे मन शांत एवं स्थिर होता है और उसकी क्षमता में भी आश्चर्यजनक वृद्धि होती है।

 - अखंड ज्योति, जून २०११ के लेख कैसे बढ़े मन की सामर्थ्य(पृष्ठ १९-२०) से संकलित-सम्पादित

No comments: