लगन आदमी के अन्दर हो तो सौ गुना काम करा लेती है। इतना काम करा लेती है कि हमारे काम को देख कर आपको आश्चर्य होगा। इतना साहित्य लिखने से लेकर इतना बड़ा संगठन खड़ा करने तक और इतनी बड़ी क्रांति करने से लेकर के इतने आश्रम बनाने तक जो काम शुरू किये हैं वे कैसे हो गए? यह लगन और श्रम है।
यदि हमने श्रम से जी चुराया होता तो उसी तरीके से घटिया आदमी हो करके रह जाते जैसे की अपना पेट पालना ही जिनके लिए मुश्किल हो जाता है। चोरी से, ठगी से, चालाकी से जहाँ कहीं भी मिलता पेट भरने के लिए, कपडे पहनने के लिए और अपना मौज, शौक पूरा करने के लिए पैसा इक्कठा करते रहते पर हमारा यह बड़ा काम संभव नहीं हो पता।
- पं श्रीराम शर्मा 'आचार्य'
हारिये न हिम्मत, पृष्ठ 22 से उधृत
यदि हमने श्रम से जी चुराया होता तो उसी तरीके से घटिया आदमी हो करके रह जाते जैसे की अपना पेट पालना ही जिनके लिए मुश्किल हो जाता है। चोरी से, ठगी से, चालाकी से जहाँ कहीं भी मिलता पेट भरने के लिए, कपडे पहनने के लिए और अपना मौज, शौक पूरा करने के लिए पैसा इक्कठा करते रहते पर हमारा यह बड़ा काम संभव नहीं हो पता।
- पं श्रीराम शर्मा 'आचार्य'
हारिये न हिम्मत, पृष्ठ 22 से उधृत