ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्।

ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्।
उस प्राण स्वरुप, दुःखनाशक, सुखस्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देवस्वरूप परमात्मा को हम अपनी अंतरात्मा में धारण करें। वह परमात्मा हमारी बुद्धि को सन्मार्ग में प्रेरित करे।

Sunday 10 February, 2013

आत्मविश्वास और अविरल अध्यवसाय

संसार के सारे महापुरुष प्रारंभ में साधारण क्षेणी, योग्यता, क्षमताओं के व्यक्ति रहे हैं। इतना होने पर भी उन्होंने अपने प्रति दृष्टिकोण हीन नहीं बनने दिया और निराशा को पास नहीं फटकने दिया। आत्मविश्वास एवं अविरल अध्यवसाय के बल पर वे कदम आगे बढ़ते ही गए। प्रतिकूल परिस्थितियों में भी वे लक्ष्य से विचलित नहीं हुए। नगण्य से साधन और अल्प योग्यता से होते हुए भी देश, धर्म, समाज और मानवता की सेवा में अपने जीवन की आहुति समर्पित कर समाज के सामने उदहारण प्रस्तुत कर गए और कोटि-कोटि जनों को दिशा प्रदान कर गए।

 - पं श्रीराम शर्मा 'आचार्य'
हारिये न हिम्मत, पृष्ठ 32 से उधृत

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