इस बात का शोक मत करो की मुझे बार-बार असफल होना पड़ता है। परवाह मत करो क्योंकि समय अनंत है। बार-बार प्रयत्न करो और आगे की और कदम बढाओ। निरंतर कर्तव्य करते रहो, आज नहीं तो कल तुम सफल हो कर रहोगे।
सहायता के लिए दूसरों के सामने मत गिड़गिडाओ क्योंकि यथार्थ में भी इतनी शक्ति नहीं है जो तुम्हारी सहायता कर सके। किसी कष्ट के लिए दूसरों पर दोषारोपण मत करो, क्योंकि यथार्थ में कोई भी तुम्हें दुःख नहीं पहुंचा सकता। तुम स्वयं ही अपने मित्र हो और स्वयं ही अपने शत्रु हो। जो कुछ भली बुरी स्थितियाँ सामने है वह तुम्हारी ही पैदा की हुई हैं। अपना दृष्टिकोण बदल दोगे तो दूसरे ही क्षण यह भय के भूत अंतरिक्ष में तिरोहित हो जायेंगे।
- पं श्रीराम शर्मा 'आचार्य'
हारिये न हिम्मत, पृष्ठ 26 से उधृत
सहायता के लिए दूसरों के सामने मत गिड़गिडाओ क्योंकि यथार्थ में भी इतनी शक्ति नहीं है जो तुम्हारी सहायता कर सके। किसी कष्ट के लिए दूसरों पर दोषारोपण मत करो, क्योंकि यथार्थ में कोई भी तुम्हें दुःख नहीं पहुंचा सकता। तुम स्वयं ही अपने मित्र हो और स्वयं ही अपने शत्रु हो। जो कुछ भली बुरी स्थितियाँ सामने है वह तुम्हारी ही पैदा की हुई हैं। अपना दृष्टिकोण बदल दोगे तो दूसरे ही क्षण यह भय के भूत अंतरिक्ष में तिरोहित हो जायेंगे।
- पं श्रीराम शर्मा 'आचार्य'
हारिये न हिम्मत, पृष्ठ 26 से उधृत
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