ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्।

ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्।
उस प्राण स्वरुप, दुःखनाशक, सुखस्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देवस्वरूप परमात्मा को हम अपनी अंतरात्मा में धारण करें। वह परमात्मा हमारी बुद्धि को सन्मार्ग में प्रेरित करे।

Monday 4 February, 2013

आप अपने मित्र भी हो और शत्रु भी

इस बात का शोक  मत करो की मुझे बार-बार असफल होना पड़ता है। परवाह मत करो क्योंकि समय अनंत है। बार-बार प्रयत्न करो और आगे की और कदम बढाओ। निरंतर कर्तव्य करते रहो, आज नहीं तो कल तुम सफल हो कर रहोगे।

सहायता के लिए दूसरों के सामने मत गिड़गिडाओ क्योंकि यथार्थ में भी इतनी शक्ति नहीं है जो तुम्हारी सहायता कर सके। किसी कष्ट के लिए दूसरों पर दोषारोपण मत करो, क्योंकि यथार्थ में कोई भी तुम्हें दुःख नहीं पहुंचा सकता। तुम स्वयं ही अपने मित्र हो और स्वयं ही अपने शत्रु हो। जो कुछ भली बुरी स्थितियाँ सामने है वह तुम्हारी ही पैदा की हुई हैं। अपना दृष्टिकोण बदल दोगे तो दूसरे ही क्षण यह भय के भूत अंतरिक्ष में तिरोहित हो जायेंगे।

 - पं श्रीराम शर्मा 'आचार्य'
हारिये न हिम्मत, पृष्ठ 26 से उधृत

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