ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्।

ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्।
उस प्राण स्वरुप, दुःखनाशक, सुखस्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देवस्वरूप परमात्मा को हम अपनी अंतरात्मा में धारण करें। वह परमात्मा हमारी बुद्धि को सन्मार्ग में प्रेरित करे।

Tuesday 5 February, 2013

खिलाडी भावना को अपनाओ

आपके विषय में, आपकी योजनाओं के विषय में, आपके उद्देश्यों के विषय में अन्य लोग जो कुछ विचार करते हैं, उस पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता नहीं है। अगर वे आपको कल्पनाओं के पीछे दौड़ने वाला उन्मुक्त अथवा स्वप्न देखने वाला कहें तो उसकी परवाह  मत करो। तुम अपने व्यक्तित्व पर श्रद्धा को बनाये रहो। किसी मनुष्य के कहने, से किसी आपत्ति के आने से अपने आत्मविश्वास को डगमगाने मत दो। आत्मश्रद्धा को कायम रखोगे और आगे बढ़ते रहोगे तो जल्दी या देर में संसार आपको रास्ता देगा ही।

आगे भी प्रगति के प्रयास तो जारी रखे ही जायें पर वह सब खिलाड़ी भावना से ही किया जाये।

 - पं श्रीराम शर्मा 'आचार्य'
हारिये न हिम्मत, पृष्ठ 27 से उधृत 

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