जिस दिन तुम्हें अपने हाथ-पैर और दिल पर भरोसा हो जावेगा, उसी दिन तुम्हारी अंतरात्मा कहेगी की, 'बाधाओं को कुचल कर तू अकेला चल अकेला।'
जिन व्यक्तियों पर तुमने आशा के विशाल महल बना रखे हैं वे कल्पना के व्योम में विहार करने के सामान हैं। अस्थिर सारहीन खोखले हैं। अपनी आशा को दूसरों में संश्लिष्ट कर देना स्वयं अपनी मौलिकता का ह्रास कर अपने साहस को पंगु कर देना है। जो व्यक्ति दूसरों की सहायता पर जीवन यात्रा करता है। वह शीघ्र अकेला रह जाता है।
दूसरों को अपने जीवन का संचालक बना देना ऐसा ही है जैसा अपनी नौका को ऐसे प्रवाह में डाल देना जिसके अंत का आपको कोई ज्ञान नहीं।
- पं श्रीराम शर्मा 'आचार्य'
हारिये न हिम्मत , पृष्ठ 13 से उधृत
जिन व्यक्तियों पर तुमने आशा के विशाल महल बना रखे हैं वे कल्पना के व्योम में विहार करने के सामान हैं। अस्थिर सारहीन खोखले हैं। अपनी आशा को दूसरों में संश्लिष्ट कर देना स्वयं अपनी मौलिकता का ह्रास कर अपने साहस को पंगु कर देना है। जो व्यक्ति दूसरों की सहायता पर जीवन यात्रा करता है। वह शीघ्र अकेला रह जाता है।
दूसरों को अपने जीवन का संचालक बना देना ऐसा ही है जैसा अपनी नौका को ऐसे प्रवाह में डाल देना जिसके अंत का आपको कोई ज्ञान नहीं।
- पं श्रीराम शर्मा 'आचार्य'
हारिये न हिम्मत , पृष्ठ 13 से उधृत
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