ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्।

ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्।
उस प्राण स्वरुप, दुःखनाशक, सुखस्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देवस्वरूप परमात्मा को हम अपनी अंतरात्मा में धारण करें। वह परमात्मा हमारी बुद्धि को सन्मार्ग में प्रेरित करे।

Monday 14 January, 2013

जीवन को यज्ञमय बनाओ

 मन में सबके लिए सद्भावनाएँ रखना, संयमपूर्ण सच्चरित्रता के साथ समय व्यतीत करना, दूसरों की भलाई बन सके उसके लिए प्रयत्नशील रहना, वाणी को केवल सत्प्रयोजनों के लिए ही बोलना, न्यायपूर्ण कमी पर ही गुजर करना, भगवान् का स्मरण करते रहना, अपने कर्तव्य पथ पर आरूढ़ रहना, अनुकूल-प्रतिकूल परिस्थितियों में विचलित न होना-यही नियम हैं जिनका पालन करने से जीवन यज्ञमय हो जाता है। मनुष्य जीवन को सफल बना लेना ही सच्ची दूरदर्शिता और बुद्धिमता है।

जब तक हम में अहंकार की भावना रहेगी तब तक त्याग की भावना का उदय होना कठिन है।

 - पं श्रीराम शर्मा 'आचार्य'
हारिये न हिम्मत, पृष्ट 5 से उधृत 

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