ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्।

ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्।
उस प्राण स्वरुप, दुःखनाशक, सुखस्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देवस्वरूप परमात्मा को हम अपनी अंतरात्मा में धारण करें। वह परमात्मा हमारी बुद्धि को सन्मार्ग में प्रेरित करे।

Sunday 20 January, 2013

अंतःकरण के धन को ढूँढो

तुम्हें अपने मन को सदा कार्य में लगाये रखना होगा। इसे बेकार न रहने दो। जीवन को गंभीरता के साथ बिताओ। तुम्हारे सामने आत्मोन्नति का महान कार्य है और पास में समय थोडा है। यदि अपने को असावधानी के साथ भटकने दोगे तो तुम्हे शोक करना होगा और इससे भी बुरी स्थिति को प्राप्त होगे।

धैर्य और आशा रखो तो शीघ्र ही जीवन की समस्त स्थिति का सामना करने की योग्यता तुममें आ जाएगी। अपने बल पर खड़े होओ। यदि आवश्यक हो तो समस्त संसार को चुनोती दे दो। परिणाम में तुम्हारी हानि नहीं सकती। तुम केवल सबसे महान से संतुष्ट रहो। दूसरे भौतिक धन की खोज करते हैं और तुम अंतःकरण के धन को ढूँढो।

 - पं श्रीराम शर्मा 'आचार्य'
हारिये न हिम्मत, पृष्ठ 11 से उधृत

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