ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्।

ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्।
उस प्राण स्वरुप, दुःखनाशक, सुखस्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देवस्वरूप परमात्मा को हम अपनी अंतरात्मा में धारण करें। वह परमात्मा हमारी बुद्धि को सन्मार्ग में प्रेरित करे।

Friday 18 January, 2013

अपने आपकी समालोचना करो

 जो कुछ हो, होने दो। तुम्हारे बारे में जो कहा जाए उसे कहने दो। तुम्हें ये सब बातें मृगतृष्णा के जल के समान असार लगनी चाहिए। यदि तुमने संसार का सच्चा त्याग किया है तो इन बातों से तुम्हें कैसे कष्ट पहुँच सकता है। अपने आपकी समालोचना में कुछ भी कसार मत रखना तभी वास्तविक उन्नति होगी।

प्रत्येक क्षण और अवसर का लाभ उठाओ। मार्ग लम्बा है। समय वेग से निकला जा रहा है। अपने संपूर्ण आत्मबल के साथ कार्य में लग जाओ, लक्ष्य तक पहुंचोगे।

किसी बात के लिए भी अपने को क्षुब्ध न करो। मनुष्य में नहीं ईश्वर में विशवास करो। वह तुम्हें रास्ता दिखायेगा और सन्मार्ग सुझाएगा।

 - पं श्रीराम शर्मा 'आचार्य'
हारिये न हिम्मत, पृष्ठ 9 से उधृत

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