हम दूसरों को बरबस अपनी तरह विश्वास, मत, स्वभाव एवं नियमों के अनुसार कार्य करने और जीवन व्यतीत करने के लिए बाध्य करते हैं। दूसरों को बरबस सुधार डालने, अपने विचार या दृष्टिकोण को जबरदस्ती थोपने से न सुधार होता है न आपका ही मन प्रसन्न होता है।
यदि हम अमुक व्यक्ति को दबाए रखेंगे तो अवश्य परोक्ष रूप से हमारी उन्नति हो जायेगी। अमुक व्यक्ति हमारी उन्नति में बाधक है। अमुक हमारी चुगली करता है, दोष निकलता है, मानहानि करता है। अतः हमें अपनी उन्नति न देख कर पहले अपने प्रतिपक्षी को रोके रखना चाहिए - ऐसा सोचना और दूसरों को अपनी असफलताओं का कारण मानना, भ्रममूलक है।
- पं श्रीराम शर्मा 'आचार्य'
हारिये न हिम्मत, पृष्ठ 15 से उधृत
यदि हम अमुक व्यक्ति को दबाए रखेंगे तो अवश्य परोक्ष रूप से हमारी उन्नति हो जायेगी। अमुक व्यक्ति हमारी उन्नति में बाधक है। अमुक हमारी चुगली करता है, दोष निकलता है, मानहानि करता है। अतः हमें अपनी उन्नति न देख कर पहले अपने प्रतिपक्षी को रोके रखना चाहिए - ऐसा सोचना और दूसरों को अपनी असफलताओं का कारण मानना, भ्रममूलक है।
- पं श्रीराम शर्मा 'आचार्य'
हारिये न हिम्मत, पृष्ठ 15 से उधृत
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