ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्।

ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्।
उस प्राण स्वरुप, दुःखनाशक, सुखस्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देवस्वरूप परमात्मा को हम अपनी अंतरात्मा में धारण करें। वह परमात्मा हमारी बुद्धि को सन्मार्ग में प्रेरित करे।

Sunday 20 March, 2011

युग परिवर्तन की वेला में पालन करने योग्य पंचशील

(१.) अपना एक संसार बसाइए और अलग रहिये; अलग अर्थात भौतिकता से हटकर।
(२.) अपनी इच्छाओं को मन कडा करके बदल डालिए।
(३.) कर्मयोगी की तरह से जियें।
(४.) जो चीजें पास हैं, उनका ठीक से इस्तेमाल करें, यथा - समय, श्रम, इन्द्रियां।
(५.) जो पास है, उसे अकेले न खाएँ, सारे समाज को बांटकर प्रयोग करें। यज्ञीय जीवन की वृत्ति विकसित करें।


 - पं श्रीराम शर्मा आचार्य

No comments: