ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्।

ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्।
उस प्राण स्वरुप, दुःखनाशक, सुखस्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देवस्वरूप परमात्मा को हम अपनी अंतरात्मा में धारण करें। वह परमात्मा हमारी बुद्धि को सन्मार्ग में प्रेरित करे।

Sunday 13 March, 2011

समय को पहचानिए

मनुष्य के जीवन में अनेक प्रकार के सौभाग्य आते हैं और उन सौभाग्यों के लिए आदमी सदा अपने आपको सराहता रहता है। ऐसे सौभाग्य कभी-कभी ही आते हैं हमेशा नहीं । लेकिन आदमी का सबसे बड़ा सौभाग्य एक ही है कि वह समय को पहचान पाए। आदमी समय को पहचान लें तो मैं समझता हूँ कि इससे बड़ा सौभाग्य दुनिया में कोई हो ही नहीं सकता।

ऊंचे उद्दशेय के लिए, ख़ास तौर से उस समय जबकि भगवान अवतार लिया करते हैं तब जो आदमी उनके कंधे से अपना कन्धा मिला लेते हैं, वे शानदार हो जाते हैं और अपनी भूमिका निभाते हैं।

मित्रो! आदमियों कि अपनी जरूरत होती है, यह तो में नहीं कह सकता कि जरूरत नहीं होती, पर कभी-कभी भगवान को भी आदमियों कि जरूरत होती है। हमेशा नहीं, कभी-कभी जरूरत पड़ती है। और उस कभी-कभी को, मौके को, जो पहचान लेते हैं, वे गिलहरी के तरीके, केवट के तरीके से, शबरी के तरीके से और रीच वानरों के तरीके से उनकी सहायता के लिए चल पड़ते हैं और धन्य बन जाते हैं।

जिस समय में हम और आप रह रहे हैं वह ऐसा शानदार समय है कि आपकी जिंदगी में और इतिहास में फिर नहीं आएगा।

आपका मन बड़े फायदे उठाने का है और बड़े फायदे लायक आपका व्यक्तित्व है, हिम्मत है, तो आप आइए, इस मौके को गँवाइये नहीं। इस मौके का पूरा-पूरा फायदा उठाइए। आप लोगों में से एक-एक को हम झकझोरते हैं और कहते हैं।

अब हमें अपने कार्य क्षेत्र का विस्तार करने के लिए आपकी सहायता कि जरूरत है। इसके लिए अब हमको वह वर्ग ढूँढना पड़ेगा, जिनको विचारशील वर्ग कहते हैं। अब हमें इंजीनियरों की जरुरत है, डाक्टरों कि जरूरत है, सिपाहियों कि जरूरत है, ओवरसियरों कि जरूरत है, हमको उनकी जरूरत है जो राष्ट्र के निर्माण में काम आ सकें।

आप आइए और हमारी मिलिट्री में भर्ती हो जाइए। आपमें हर आदमी को प्रज्ञावतार के कंधे-से-कन्धा मिलाने के लिए हम आपको दावत देते हैं, विशेषकर उन लोगों को जिन्होंने अपनी आदतें ठीक कर रखी हैं, परिश्रमी हैं, चरित्रवान हैं और जिनका वजन भारी नहीं है अर्थात जिम्मेदारियों का बोझ हल्का है। ऐसे लोगों के लिए सबसे बेहतरीन काम यह है कि अपना गुजारा करने के बाद में वे समाज के काम आएँ, देश के काम आएँ।

 - पं श्रीराम शर्मा आचार्य

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