ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्।

ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्।
उस प्राण स्वरुप, दुःखनाशक, सुखस्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देवस्वरूप परमात्मा को हम अपनी अंतरात्मा में धारण करें। वह परमात्मा हमारी बुद्धि को सन्मार्ग में प्रेरित करे।

Sunday 20 March, 2011

धैर्य

साधक का पहला लक्षण है - धैर्य! धैर्य की रक्षा ही भक्ति की परीक्षा है। जो अधीर हो गया, सो असफल हुआ। लोभ और भय के, निराशा और आवेश के जो अवसर साधक के सामने आते हैं, उनमें और कुछ नहीं, केवल धैर्य परखा जाता है। सदा प्रसन्न रहो। मुसीबतों का खिले चेहरे से सामना करो। आत्मा सबसे बलवान है, इस सच्चाई पर दृढ़ विश्वास रखो। यही ईश्वरीय विश्वास है। इस विश्वास द्वारा आप समस्त कठिनाइयों पर विजय पा सकते हैं।

 - पं श्रीराम शर्मा आचार्य

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